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Tally Groups Details in Hindi with Example

 Tally मे Group क्या होते है। 

Tally Groups Details:- Tally में Company बना लेने के बाद हमें हमें प्रत्येक किये जाने वाले Transactions के Ledger बनाने होते है क्योकि Tally के Software में पहले से ही 28 Groups बने होते है और Business में होने वाले सभी Transaction इन्ही में से किसी न किसी Group के अंतर्गत इंटर किये जाते है.

हम कह सकते है की Tally मे हम जो भी नया Ledger बनाते हैं। उसे किसी न किसी Group के Under रखना होता है, और Group का सही निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योकि इसी पर हमारा Trading A/c, P/L, और Balance Sheet बनती है अगर Group ही गलत हो जायेगा तो यह सब भी सही रिजल्ट नहीं देंगी अतः हमें Ledger बनाते समय सभी Groups का ज्ञान होना अति आवश्यक है यह हम कह सकते है की Tally सीखने के लिए Group पहला पावदान है. और आज की पोस्ट में हम यही जानेंगे की कौन सा Ledger किस Group के अंतर्गत रखा जाता है. 

 

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Tally मे Ledger बनाते समय Under Group का निर्धारण कैसे करे। 

Tally मे जब भी हम कोई Ledger बनाते हैं। तो हमारे सामने चित्र अनुसार एक विंडो दिखाई देती है। 

Tally Groups Details in Hindi with Example

सबसे पहले हम Ledger का नाम लिख लेते हैं। फिर बात आती है। की Ledger को किस Under Group में रखा जाए। अर्थात हम जो Ledger create कर रहे हैं उस का हमारे व्यवसाय से क्या सम्बन्ध है। ताकी उसे हम एक सही under Group दे सके और Ledger एक सही स्थान पर जा सके।


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Tally में कुल 28 Group होते है जिनमे 15 Primary तथा 13 subgroup होते है अब हम Tally मे उपस्थित सभी List of Groups को एक - एक कर के समझते हैं, की किस under Groups के अंदर किस Ledger को शामिल किया जाता है। 

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Tally Groups Details in Hindi 

Tally Groups Details in Hindi with Example


1- Capital (पूँजी)  :- किसी व्यवसाय में  Capital (पूँजी) का अर्थ उस राशि से है जो व्यवसाय को प्रारम्भ करते समय व्यवसाय के मालिक द्वारा व्यवसाय में लगाई जाती है अर्थात जिस रुपयो से मालिक व्यवसाय प्रारम्भ करता है  उसे Capital (पूँजी) कहते है |


(i) Reserves & Surplus :- यह Capital Group का Sub Group है इसके अंतर्गत आरक्षितयाँ और अधिशेष से संबधित खातों को रखा जाता है। जैसे :- General Reserve, All Type Reserve etc.


2- Current Assets (अस्थाई सम्पति) :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है इसके अंतर्गत कंपनी की जितनी भी अस्थाई सम्पति होती है वह रखी जाती है इसके 6 sub group होते है जो इस प्रकार है :-

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(i) Bank Account :-  यह Current Assets का पहला sub group होता है इसके अंतर्गत हम Saving और Current Bank Account को रखते है क्योकि बैंक हमें यह सुविधा देता है की हम जब चाहे बैंक में पैसा जमा करे और निकाले इसे Current Assets इसलिए भी कह सकते है क्योकि हमें पैसे की तुरंत जरूरत होने पर हम इसे बैंक से निकाल सकते है. इस Group के अंतर्गत हम Bank A/c के Ledger को Create करते है. 

 

(ii) Cash in Hand :-  यह Current Assets का दूसरा sub group होता है Cash का Ledger कंपनी बनाते समय अपने आप बन जाता है इसे Current Assets इसलिए भी कह सकते है क्योकि हमें पैसे की जरूरत होने पर हम इसे खर्च कर सकते है. इस Group के अंतर्गत हम Bank A/c के Ledger को Create करते है. 

 

(iii) Deposit :- यह Current Assets का तीसरा sub group होता है इस Group के अंतर्गत Fixed Deposit, Rental Deposit इत्यादि Ledger बनाते है इसे Current Assets इसलिए भी कह सकते है क्योकि हमें पैसे की जरूरत होने पर हम इसे तुडवा सकते है.

 

(iv) Loan and Advance :- यह Current Assets का चतुर्थ sub group होता है इस Group के अंतर्गत Advance Payment के Ledger बनाए जाते हैं जैसे :- Salary Advance, Rent Advance, Advance to Purchase Fixed Assets etc. इसे Current Assets इसलिए भी कह सकते है क्योकि बाद में हम एडवांस किये गए पेमेंट को टोटल दिए जाने वाले पेमेंट में एडजस्ट कर लेते है.

 

(v) Stock in Hand :- यह Current Assets का पाचवा sub group होता है इस Group के अंतर्गत

Opening Stock और Closing Stock के Ledger बनाए जाते हैं इसे Current Assets इसलिए कहा जाता है क्योकि Stock (सामान) हमारी एसेट्स होती है

 

(vi) Sundry Debtors :- यह Current Assets का 6 sub group होता है व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि को  हम उधार मॉल (Goods) बेचते (Sales) है या जिन पार्टीज से हमें पैसे लेने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Debtors Group के अंतर्गत क्रिएट करते है। इसे Current Assets इसलिए कहा जाता है क्योकि पैसे की जरूरत होने पर हम Sundry Debtors से पैसे मांग सकते है.

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3-  Current Liabilities :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है. Current Liabilities को हम चालू दायित्व भी कहते हैं। यदि हमें किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति को पैसे देने है तो यह हमारा उतरदायित्व बनता है की हमें उसे पैसे देने होंगे. इसके 3 sub group होते है जो इस प्रकार है. 


(i) Duties & Taxes :- यह पहला प्राइमरी ग्रुप है व्यवसाय मे सभी प्रकार के Tax से संबंधित खाते  (Ledgers) के लिए Duties & Tax Group दिया जाता है। जैसे :- Excise, Local Sales Tax, Central Sales Tax, Service Tax, TDS, GST आदि.


(ii) Provision :- यह दूसरा प्राइमरी ग्रुप है इस Group के अंतर्गत Income Tax का Ledger बनाया जाता है.


(iii) Sundry Creditors :- यह तीसरा प्राइमरी ग्रुप है व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि से हम उधार मॉल (Goods) खरीदते (Purchase) है। तथा जिन पार्टीज को हमें पैसे देने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Creditors Group के अंतर्गत क्रिएट करते है। इसे Current Liabilities इसलिए कहा जाता है क्योकि Sundry Creditors को हमें पैसे देने होते है.

 

4- Fixed Assets (स्थाई सम्पति)  :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है इसके अंतर्गत व्यवसाय मे उपस्थिति सभी प्रकार की  स्थाई संपत्तियों के Ledgers बनाते है जैसे:- Land, Building, Furniture, Machine etc

 

5- Investments :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है यदि व्यवसाय में हम कोई लंबी अवधि  के लिए निवेश करते है और हमे  पता ही नहीं होता है कि  इस निवेश से हमें Profit  होगा या Loss   तो ऐसे  निवेश (Investments) के  खातों (Ledgers) को Investment Group के अंतर्गत बनाते है जैसे :-Long term investment, Shares, Debenture, Mutual Fund etc

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6- Loans (Liability) :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है इस ग्रुप के अंतर्गत कंपनी द्वारा लिया गया Loan के ledger क्रिएट किये जाते हैं। इसके 3 sub group होते है जो इस प्रकार है :-


(i) Bank OD :- यह Loans (Liability) का पहला sub group है इसके अंतर्गत Bank Overdraft (Bank OD) Loan का Ledger क्रिएट करते है.


(ii) Secured Loan :- यह Loans (Liability) का दूसरा sub group है इसके अंतर्गत हम बैंक द्वारा लिए गए Loan का Ledger क्रिएट करते है इसे Secured Loan इसलिए कहते है क्योकि बैंक हमें बिना किसी सिक्योरिटी की लोन नहीं देता है बल्कि हमें loan लेने के लिए Fixed Assets अथवा Gold आदि को बैंक के पास बंधक रखना होता है.  


(iii) Unsecured Loan :- यह Loans (Liability) का तीसरा sub group है इसके अंतर्गत हम बैंक से Loan न लेकर जब किसी रिश्तेदार अथवा मित्र से ब्याज पर पैसे लेते है जिस के कारण हमें उसके पास कोई Assets आदि बंधक के रूप में रखनी नहीं होती इसलिए इसे Unsecured Loan कहते है इसके अंतर्गत Friend Loan का Ledger क्रिएट करते है.


7- Suspense A/c :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है यदि व्यवसाय में किसी Party द्वारा किये गए Payment या Receipt का पता नहीं होता है। तो ऐसे खातों को Suspense A/c Group देते है। जैसे :- Travelling Advance Ledger इसको Suspense Group के अंतर्गत इसलिए रखा जाता है क्योकि मान लीजिये हमें 10 तारीख को Delhi जाना है तो हमें पहले से Reservation करना होता है लेकिन हो सकता है की हम उस तारीख को Delhi न जा पाए तो Reservation Cancel हो जाता है इसलिए इसे खर्चा नहीं माना जा सकता और Travelling Advance Balance Sheet के अंतर्गत शो होता है.


8- Misc Exp :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है इस Group के अंतर्गत Misc Exp के Ledgers Create करते है.


9. Purchases Accounts :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है व्यवसाय मे माल खरीदी (Goods Purchase) के सभी खातों (Ledgers) को Purchase Accounts Group के अंतर्गत क्रिएट करते है तथा Purchase Return के खातों को भी इसी Group के अंतर्गत रखा जाता है। जैसे :-Purchase, Purchase Return etc.

 

10. Sales Account :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है व्यवसाय में जो मॉल (Goods) बेचा जाता है। उन सभी खातों को Sales Accounts Group दिया जाता है तथा Sales Return के खातों को भी इसी  Group के अंतर्गत क्रिएट किये जाते है। जैसे :- Sales,Sale Return etc.

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11. Direct Incomes :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय उन्हें Direct Income Group के अंतर्गत क्रिएट किया जाता है। जैसे :-Selling of Goods etc.


12. Direct Expenses :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय  होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Direct Expenses Group के अंतर्गत क्रिएट करते है। जैसे :- Wages, Frieght, Carriage, Electricity Bill etc.


13. Income (Indirect) :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है जब व्यवसाय मे किसी तरह की  अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित नहीं होती है। ऐसी आय के Ledger बनाते समय उन सभी Ledger को Income (Indirect) Group के अंतर्गत क्रिएट करते है। जैसे :-Interest Received, Discount Received, Rent Received, Commission Received etc.


14. Indirect Expenses :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है इस ग्रुप के अंतर्गत ऐसे ledger क्रिएट किये जाते है जो व्यवसाय मे वस्तुओं के खरीदते समय या वस्तुओं के उत्पादन से संबधित नहीं होते हैं। तो  ऐसे सभी खर्चों के Ledgers बनाते समय उन्हें Indirect Expenses Group के अंतर्गत क्रिएट करेंगे। जैसे :- Legal Expenses/Charges,Salary,Audit Fees,Fuel Expenses,Legal charge,Bank charges,Advertisement, स्टेशनरी, Travelling Exp,Depreciation Expenses etc.

15. Branch/Divisions :- यह भी प्राइमरी ग्रुप है, यदि हमारी कंपनी में बड़े पैमाने पर काम होता है अर्थात हमारी कंपनी की किसी अन्य क्षेत्र में भी Branch है। और हमें उन ब्रांचो से भी पैसा आता है। तो उन सभी Branch/Divisions से संबधित खातों को Branch/Divisions  Group के अंतर्गत रखा जाता है। जैसे :- Excellent Computer Education Branch,Barabanki A/c, Excellent Computer Education Branch,Kanpur A/c, etc
अंत में :- 
आशा है की पूरी पोस्ट पढने के बाद आपको Tally Groups Details के बारे में समस्त जानकारी हो गई होगी. अगर पोस्ट पसंद आई हो तो शेयर और कमेंट्स जरूर करे.  

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